Khayal Compositions (Other’s lyrics)

Khayal Compositions (Other’s lyrics)

अंग ही अंग उमंग
अंगहि अंग उमंग है
अजब अपना हाल होता जो विसाले यार होता
अब कोऊं कैसे कर निकसे
आज आनंद में डोले राधिका
आज नव नागरी बनमाही देखी री
आज सखि लखि मनमोहनी
उठत तरंग सुगंध की
उठत तरंग सुगंधकी
ए जो नाद दरियाव तापै (ध्रुपद)
ए हो ज्ञान रंगे ध्यान रंगे
ऐसे चले नये नये हुनर
खेलत खेलत पोढी राधा
गणपति रीझ दीनो
चेरी कीनी हो नंद दुलारे
छेला रंग डार दियो
जनम मरन बीच देख अंतर नही
जल कैसे भरूं जमुना गहरी
जागे मेरे भाग आज श्यामसुंदर
तन मन में सुख उपजि है
तपन लागी धरती
तुंव सुर विस्तार साधन नाद बेद अपरंपार
तुम संग लागी मोरी अंखिय़ां
दिन नहि चैन रात नहि निंदिया
दे मैया भौंरा चक डोरी
धायो रे सज कर दल रामचंद्र लंका नगर
धीर समीरे यमुनातीरे
न कोई यार पाया
न जगाओ मोहे रात की पिया जागी
नभ नीर देत नील नीरद
नयो नेह नयो गेह नयो रस
नवल कुंज नवल मृगनयनी
पाँवडे पलकन के करो धरो
पीतवसन अंग त्रिभंग मोर मुगुट (According to Kedar Bodas, this is Bandish from Bhatkhande’s book)
पूज रे गणेश
प्यारे बिन भर आये दोऊ नैन
प्रथम शुभ स्नान
प्रेम प्रेम सबहि कहत प्रेम ना जानत कोय
बैठे कुंजभवन में दोऊं
भर जोबन में कंथ न चीना
माई री जसोदा नंद आनंद कंद
मुकुट शीश मुरली कर राधे जब सोहे
मुरली की धुन सुन न्यारी चकित
मेरे मन राम राम रट रे
मै तो कैसे पनघटपर जाऊं री
मोतीखां सागर उपमा
मोपर डार गयो हरि टोना
यह कोऊ जानत री वाकी चितवनमें
राधिकारमण गिरीधरन गोपीनाथ
राधे तेरे गावत कोकिल मन रहे री मौन धरि
राम मैंडो औगुण चित न धरो
लालन तो हो झूलो
लाली मेरे लाल की
वाके दरस को जिया ललचावे
वाके देखन को अखियां तरसे
वाको कौन नगर में ढूंढू
विद्या पंथ सूझत नहि
वे लाल तेरी पैंजनिया झनके
सखी तबसों चैन नही आवे
सलोनी मूरत श्याम लुभान आवोरी
सांवरे मेरेहि द्वारपें
सेस गनेस महेस
हद चले सो मानवा
हरि ने अपना आप छिपाया
हां पीर मोरी भर दे गगरीया
हो हो हो होरी खेले लाल संग ग्वाल
होये जाने वारी वारी जावा
जियरा मेरा फिरै रे उदास्
गगर न भरन देत तेरो कान्हा माई
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