Non-Marathi Compositions

Non-Marathi Compositions

अंबिकेय, अग्रपूज्य
अंबुज अंशुमान्
अति सरस बालमा
अधोक्षज अवधबिहारी
अपना घर भला
कबिरा प्याला प्रेमका
कहना था सो कह दिया
खुसरौ रैन सुहागकी
गं गं गणपति
गर हमने दिल किसी को दिया
गये री हरि परदेस
छेला रंग डार दियो
जगत से हठकर
जब चलते चलते
जय राधा
तलफै बिन बालम

तोहि मोहि लगन लगाय रे फकिरवा

दिल हमने सनम को दिया
धरणीधरसु लागुं मारूं
ना जानै साहब कैसा है
निसदिन खेलत रही
परबत बाँस मंगाय मेरे बाबुल
पी ले प्याला
प्यारि जूंकी चितवन
बहुत रही बाबुल घर दुलहन
बहु तेरा समझाया री
बूझत श्याम कौनसी गोरी
मतवारो बादर आयो रे
मोर फकिरवा
म्हारा प्राण पातळिया
म्हारे श्यामरंग समीपे ना जाऊं
यह रात कब जायेगी

यह रात यह दूरी

राधे यह छबि उलटी भई
शोभित नव कुंजनकी
श्री राधे रानी
समुझ देख मन
साधो देखो अपने माहिं
साधो यह तन ठाठ तंबूरेका
सुंदर मृग नैनी
हमन है इश्क मस्ताना
हमारे ललाके सुरंग खेलौना
हाथमें चक्र
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